Monday 23 May 2022

*बछेंद्री पाल - पहाड़ों की रानी'*

*बछेंद्री पाल - पहाड़ों की रानी'*

आज के दिन ही विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ी थीं 'पहाड़ों की रानी' बछेंद्री पाल। वे पर्वत शिखर एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली भारत की पहली और दुनिया की 5वीं महिला पर्वतारोही हैं। उन्होंने यह कारनामा आज ही के दिन 23 मई 1984 को दिन के 1 बजकर सात मिनट पर अपने जन्मदिन से एक दिन पहले किया था।

 बछेंद्री पाल ने उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी की पहाड़ों की गोद में 24 मई सन् 1954 को जन्म लिया। भारत के उत्तराखंड राज्य के एक खेतिहर परिवार में जन्मी बछेंद्री ने बी.एड. किया। स्कूल में शिक्षिका बनने के बजाय पेशेवर पर्वतारोही का पेशा अपनाने पर बछेंद्री को परिवार और रिश्तेदारों का विरोध झेलना पड़ा।

भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण के कुछ ही समय बाद उन्होंने इस शिखर पर महिलाओं की एक टीम के अभियान का सफल नेतृत्व किया। 

1994 में बछेंद्री ने महिलाओं के, गंगा नदी में हरिद्वार से कलकत्ता तक 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व किया। हिमालय के गलियारे में भूटान, नेपाल, लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए कराकोरम पर्वत श्रृंखला पर समाप्त होने वाला 4,000 किमी लंबा अभियान उनके द्वारा इस दुर्गम क्षेत्र में प्रथम महिला अभियान का प्रयास था।

बछेंद्री पाल भारत की एक 'इस्पात कंपनी टाटा स्टील' में कार्यरत हैं, जहां वह चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं।
मेधावी और प्रतिभाशाली होने के बावजूद उन्हें कोई अच्छा रोज़गार नहीं मिला। जो मिला वह अस्थायी, जूनियर स्तर का था और वेतन भी बहुत कम था। इस से बछेंद्री को निराशा हुई और उन्होंने नौकरी करने के बजाय 'नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग' कोर्स के लिये आवेदन कर दिया। यहाँ से बछेंद्री के जीवन को नई राह मिली। 

1982 में एडवांस कैम्प के तौर पर उन्होंने गंगोत्री (6,672 मीटर) और रूदुगैरा (5,819) की चढ़ाई को पूरा किया। इस कैम्प में बछेंद्री को ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह ने बतौर इंस्ट्रक्टर पहली नौकरी दी।

1984 में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। दुनिया में अब तक सिर्फ 4 महिलाऐं एवरेस्ट की चढ़ाई में कामयाब हो पाई थीं। 1984 के इस अभियान में जो टीम बनी, उस में बछेंद्री समेत 7 महिलाओं और 11 पुरुषों को शामिल किया गया था। 1 बजे 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर 'सागरमाथा (एवरेस्ट)' पर भारत का झंडा लहराया गया। इस के साथ एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाले वे दुनिया की 5वीं महिला बनीं। केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।

बछेन्द्री पाल को1986 में कलकत्ता ‘लेडीज स्टडी ग्रुप’ अवॉर्ड दिया गया।
आई.एम.एफ. द्वारा पर्वतारोहण में सर्वश्रेष्ठ होने का स्वर्ण पदक दिया गया।
1986 में उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया।
1994 में बछेन्द्री पाल को ‘नेशनल एडवेंचर अवॉर्ड’ दिया गया।
उन्हें 1995 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘यश भारती’ पुरस्कार प्रदान किया गया।
1997 में ‘लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड’ में उनका नाम दर्ज किया गया।
1997 में गढ़वाल युनिवर्सिटी द्वारा उन्हें आनरेरी डी. लिट. की डिग्री प्रदान की गई।
1997 में बछेन्द्री पाल को ‘महिला शिरोमणि अवॉर्ड’ दिया गया ।
वह आई.एम.एफ., एच.एम.आई., एडवेंचर फाउंडेशन जैसी संस्थाओं की कार्यसमिति की सदस्या हैं।
वह सेवन सिस्टर्स एडवेंचर क्लब, उत्तरकाशी तथा आल इंडिया वीमेन्स जूडो-कराटे फेडरेशन की वाइस चेयरमेन हैं।
वह ‘लायन्स क्लब ऑफ इंडिया’ की प्रेसिडेंट हैं।
वह विश्व के अनेक देशों में पर्वतारोहण सबंधी विषय पर भाषण देती रहती हैं।
बछेन्द्री पाल ने एक पुस्तक भी लिखी है, जिसका नाम है ‘एवरेस्ट-माई जर्नी टू द टॉप’।

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